Side effect of lock down: Hundreds of private teachers will be unemployed

लॉक डाउन का साइड इफैक्ट:  बेरोजगार हो जाएंगे सैंकड़ों प्राइवेट शिक्षक



श्री गंगानगर।

देश व्यापी लॉक डाउन से एक इलाका भी अछूता नहीं रहा है। ऐसे में अब उन लोगों पर संकट अधिक है जो अब तक विभिन्न प्राइवेट स्कूलों में अध्यापन या अन्य कार्यो से संविदा पर लगे हुए थे। लगातार स्कूल बंद होने और विभिन्न स्कूली परीक्षाएं निरस्त होने के कारण स्कूल संचालकों ने आज 31 मार्च को अंतिम कार्य दिवस मानकर ऐसे सैंकड़ों शिक्षकों को रिलीव करने के संकेत दिए है।








सबसे बड़ी खामी इन स्कूलों में ये है कि इन स्कूलों में अधिकृत रिकार्ड अंकित नहीं होता कि संबंधित शिक्षक कब से कार्यरत है या नहीं। इसका कार्य स्कूल संचालक उठाते है। स्कूल संचालकों ने लॉक डाउन में स्कूली बच्चों से शुल्क जमा नहीं होने की स्थिति आर्थिक संकट का हवाला देते हुए ऐसे शिक्षकों को अब घर बैठे रहने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है।


इधर, इन शिक्षकों का कहना है कि लॉक डाउन की वजह से वे एक महीने पहले ही बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसे में उनके समक्ष घर चलाने की समस्या आएगी। इन शिक्षकों का यह भी कहना है कि राज्य सरकार की नजर में वे मध्यमवर्गीय परिवार है जिसे किसी भी योजना में प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता। लॉक डाउन में उन्हीं लोगों को राशन कीट बाँटी जाती है जो बीपीएल या खाद्य सुरक्षा योजना से वंचित हो। ऐसे में राशन कीट जैसी सुविधा तक नहीं मिल पाएगी।


ऐसे कईं शिक्षक है, जो प्राइवेट स्कूलों में अध्यापन कराते है। वे  सब बेरोजगार हो जायेंगे। 


देश व्यापी लॉक डाउन के कारण इलाके की शिक्षण संस्थाओं में ताले लग गए है, अब इनके पन्द्रह अप्रेल के बाद खुलने के आसार है। लेकिन शिक्षा सत्र को समाप्त कर दिया गया है। स्कूल बंद होने के कारण वार्षिक परीक्षाएं भी नहीं हो पाएगी, ऐसे में टयूशन पढऩे के लिए बच्चे भी नहीं आते।


इन प्राइवेट शिक्षकों के समक्ष अब घर चलाने की चिंता हो गई है। एक महीने पहले बेरोजगार होने से घर पर राशन कैसे आएगा, बिजली और पानी का बिल कैसे चुकाएगी आदि कई सवाल अब खड़े हो रहे है। लेकिन समाधान का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। इधर, स्कूल संचालकों ने भी अपनी मजबूरी गिनवाई।


उनका मानना है कि वार्षिक परीक्षा के भय से विद्यार्थी के अभिभावक स्कूल शुल्क जमा कराते थे लेकिन अब वह भय भी निकल चुका है। ऐसे में बकाया शुल्क की वसूली नहीं हो पाएगी। शुल्क जमा नहीं होने पर शिक्षकों को वेतन कैसे चुकाएंगे। यह बड़ी समस्या है। इसके समाधान के लिए न शिक्षा अधिकारी के पास जवाब है न जिला प्रशासन के पास।